संसार में सबसे हल्की और सबसे भारी धातएं कौन सी हैं?
संसार में लीथियम (Lithium) सबसे हल्की और ओस्मियम (Osmium) सबसे भारी धातु है. लीथियम के एक ऐसे टुकड़े का भार, जिसकी लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई क्रमशः एक-एक सेंटीमीटर हो, 0.534 ग्राम होता है, जबकि ओसमियम के ऐसे ही टुकड़े का भार 22.48 ग्राम होता है. भारीपन में दूसरा स्थान इरीडियम का है. इसके एक सेंटीमीटर लम्बे, चौड़े और मोटे टुकड़े का भार 22.4 ग्राम होता है. ओसमियम की एक सिल्ली जिसकी लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई क्रमशः दो-दो फुट हो तो उसका भार लगभग पांच टन यानी एक हाथी के बराबर होगा. इरीडियम की सिल्ली का भी लगभग इतना ही वजन होगा. इन धातुओं की ऐसी हर सिल्ली का मूल्य लगभग 25 करोड़ रुपये होगा.
लीथियम एक मुलायम धातु है. इसकी खोज 1817 में स्वीडन के जॉन ऑगस्ट आफ्āड्सन (Johan August Arfwedson) ने की थी. यह धातु चांदी की तरह सफेद होती है. यह धातु लेपिडोलाइट (Lepidolite) और ट्रिफिलाइट (Triphylite) नामक खनिजों से प्राप्त की जाती है, ये खनिज अफ्रीका, रोडेशिया और दक्षिणी अमेरिका में मिलते हैं. यह धातु पानी के साथ तेज़ी से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाती है. इसीलिए इस धातु को मिट्टी के तेल में रखा जाता है. इसका इस्तेमाल ग्रीज़ को गाढ़ा करने में किया जाता है.
ओसमियम बहुत ही सख्त सफेद रंग की भुरभुरी सी धातु होती है. यह प्रकृति में शुद्ध अवस्था में नहीं मिलती, बल्कि दूसरे तत्त्वों के साथ मिलीजुली अवस्था में मिलती है. यह शोरे के अम्ल में घुल जाती है. इस धातु का उपयोग पेनों के निब और ग्रामोफोन की सुइयां बनाने में किया जाता है. इसका आविष्कार सन् 1804 में स्मिथसन टनांट (Smithson Tennant) नामक वैज्ञानिक ने किया था.
इरीडियम धातु का आविष्कार भी टेनांट महोदय ने ही किया था. इरीडियम एक सख्त और चांदी की तरह चमकदार धातु है. यह ओसमियम की तुलना में अधिक उपयोगी है. यह बहुत ही उच्च तापमान (2443° सेंटीग्रेड) पर पिघलती है. इसलिए इस धातु से उच्च तापमान पर भी न पिघलने वाली कसीबिल (Crucible) बनाई जाती है. इस पर अम्लों का कोई प्रभाव नहीं होता. इरीडियम को दूसरी धातुओं के साथ मिलाकर पेन के निब, वायुयानों के प्लग, प्रयोगशालाओं में काम आने वाले यंत्र आदि बनाने के काम में लाया जाता है.