गंगा नदी को पवित्र क्यों माना जाता है?
गंगा भारत की सबसे प्रसिद्ध नदी है. यह हिमालय पर्वत से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है. इसकी लम्बाई 2506 किमी. है. लम्बाई में एशिया की नदियों में इसका 15वां स्थान है और संसार में 39वा. हिमालय से निकलकर यह ऋषीकेश में आती है और वहां से हरिद्वार के मैदान में आ जाती है.
प्राचीन काल से ही गंगा हिंदओं की सबसे पवित्र नदी रही है. इसका धार्मिक महत्त्व संसार की सभी नदियों से अधिक है. इसके किनारों पर हमारे बहुत से तीर्थ स्थान हैं. हरिद्वार इलाहाबाद और बनारस मख्य तीर्थ स्थान हैं.
गगा को पवित्र माने जाने के दो कारण हैं. एक तो इसका पानी बोतलों में रखने पर बहत दिनों तक खराब नहीं होता. इसमें कछ ऐसे खनिज पदार्थ मिले हए हैं, जो पानी को सड़ने नहीं देते इस आधार पर लोगों ने गंगा को पवित्र नदी मानना शरू कर दिया दसरा कारण एक प्रर्चालत लोक कथा भी है, जिसके कारण गंगा की महिमा और भी अधिक बढ़ गई.
इस लोक कथा के अनसार गगा पहले स्वर्ग में बहा करती थी. एक राजा थे, उनका नाम था सगर उनके 60000 पत्र थे, जो किसी ऋषि के शाप से मर गए. उनका उद्धार करने के लिए गंगा को भागीरथ स्वर्ग से धरती पर लाए. तभी से इसे उद्धार करने वाली नदी माना जाने लगा है.
हजारों लोग प्रतिवर्ष इसमें स्नान करने जाते हैं. लोगों का विचार है कि गंगा में स्नान करने से सभी पाप धल जाते हैं और आत्मा पवित्र हो जाती है. लोग इसे गंगा मा के नाम से पकारते हैं. मृतकों की राख इस नदी को अर्पित की जाती है, जिससे मरने वाला व्यक्ति स्वर्ग में पहुंच जाता है।जब प्राणी का जीवन दीप बझता हआ नजर आता है, यानी कि जब अतिम वेला आ चकी होती है और मौत उसका इंतजार कर रही होती है, तब व्यक्ति के मह में गंगा-जल डाला जाता है, ताकि उसके सम्पर्ण कलष धल जाएं और उसकी आत्मा पवित्र हो जाए. इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के पजन और हवन में गंगा-जल अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाया जाता है.
बनारस सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है यहा । 500 मंदिर हैं और अनेकों घाट हैं. इस नदी से बहत मी नहरे निकाली गई हैं, जिनका पानी खेतों की सिंचाई के काम आता है. गंगा का डेल्टा बहत ही प्रसिद्ध है