एक्यूपंक्चर (Acupuncture) चिकित्सा प्रणाली क्या है?
एक्यूपंक्चरचिकित्सा प्रणाली की शुरुआत लगभग 2500 वर्ष पहले चीन में हुई थी. इस प्रणाली में किसी रोग का इलाज करने के लिए रोगी के शरीर के विभिन्न भागों में पीतल या दूसरी धातु से बनी सुइयां चुभाई जाती हैं. चीन के प्राचीन चिकित्सकों ने मनुष्य की त्वचा पर 787 ऐसे स्थान चुने थे, जिन पर सुई चुभाकर अनेक रोगों का उपचार किया जाता था. सुई चुभाने वाले स्थानों के स्पष्ट चित्र आज भी वहां उपलब्ध
(ऊपर का चित्र देखें) इन चित्रों पर लगे निशानों की सहायता से किसी विशेष रोग के लिए निश्चित स्थानों पर सुई चभाई जाती है. आंख की किसी बीमारी के लिए आंख से सम्बन्धित रेखा पर सुई चुभाकर इलाज किया जाता है. सुइयों को गहरा नहीं चुभाया जाता और न ही सुई चुभाने में दर्द होता है. एक रोग के इलाज में लगभग 10 मिनट का समय लगता है.
आज भी इस चिकित्सा प्रणाली का उपयोग चीन, जापान, अमेरिका और दूसरे देशों में हो रहा है. इसके द्वारा शरीर के अंगों का दर्द ठीक हो जाता है. मलेरिया, पेट के रोगों, गठिया आदि के इलाज के लिए यह तरीका बहुत ही प्रभावशाली है. आजकल इस प्रणाली को शल्य चिकित्सा में सुन्न (Anaesthesia) करने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. सन् 1971 में पेकिंग (Peking) में एक्यूपंक्चर द्वारा सुन्न करके एक महिला की बच्चेदानी का आपरेशन किया गया था, जो अमेरिका के दो वैज्ञानिकों ने भी देखा था. इस आपरेशन में महिला की कलाई में सुइयां चुभाई गई थीं. आपरेशन के समय वह पूर्ण चेतनावस्था में थी, लेकिन उसे दर्द जरा भी नहीं हुआ था. एक्यूपंक्चर द्वारा किस प्रकार रोग का इलाज हो जाता है, इसके विषय में किसी को भी पूर्ण जानकारी नहीं है, कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि सई चभाने से रोग को प्रभावित करने वाली नाड़ियां शांत हो जाती हैं. किसी एक स्थान पर सई चभाने का प्रभाव नाड़ियों द्वारा शरीर के दूसरे स्थान पर होता है. एक और मत के अनुसार किसी भी रोग में शारीरिक बलों में असंतुलन आ जाता है, जो एक्यूपंक्चर द्वारा ठीक हो जाता है.