हालैण्ड में अधिक पवन चक्कियां क्यों हैं?

0
हालैण्ड में अधिक पवन चक्कियां क्यों हैं?

वन चक्की (Wind Mill) एक ऐसी मशीन है, जो हवा की ऊर्जा से दसरी मशीनें चलाती है. पवन चक्की में एक पहिया होता है, जिसका सम्बन्ध चार बड़े-बड़े पंखों (Vanes) से होता है. इन सबको एक ऊंची मीनार पर लगा दिया जाता है. जब हवा इन पंखों से टकराती है, तब ये घमने लगते हैं, जिससे पहिया भी घूमता है. पहिये के साथ इसकी धुरी भी घूमती है. गियरों की सहायता से पहिये की गति का सम्बन्ध उस मशीन से कर दिया जाता है, जिससे काम लेना होता है. आमतौर पर पवन चक्कियों का उपयोग आटा पीसने, पानी के पम्प या बिजली के जेनरेटर चलाने के लिए किया जाता है.

हालैण्ड में पवन चक्कियों की संख्या बहत अधिक है. इसका कारण यह है कि वहां की अधिकतर जमीन समुद्र-तल से नीची है. कुछ वर्ष पहले मैदानों में एकत्र पानी को नहरों तक भेजने के लिए पवन चक्कियों का उपयोग किया जाता था. आजकल तो वहां इस काम के लिए बिजली से चलने वाले पम्पों का इस्तेमाल होने लगा है, लेकिन फिर भी पवन चक्कियों की संख्या काफी है.

पवन चक्कियों का इस्तेमाल यूरोप में बारहवीं शताब्दी में शुरू हुआ था. शुरू-शुरू में जर्मनी और हालैण्ड में ही पवन चक्कियों का अधिक प्रयोग होता था. जर्मनी की पवन चक्कियां दो से आठ हार्स पावर (Horse Power) और हालैण्ड की छः से चौदह हार्स पावर शक्ति देती थीं. 17वीं शताब्दी में अकेले हालैण्ड में ही लगभग आठ हजार पवन चक्कियां थीं. 19वीं शताब्दी में पानी निकालने के लिए पवन चक्कियों का इस्तेमाल अमेरिका और आस्ट्रेलिया में भी होने लगा था.

आजकल बिजली से चलने वाली मोटरों के कारण पवन क्कियों का इस्तेमाल कछ कम हो गया है.


Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top